
तिल्दा-नेवरा/रामानुजगंज — राजेश ज्वेलर्स की चर्चित डकैती मामले में पुलिस ने दिखा दिया कि ठान लिया तो क्या नहीं हो सकता। तिल्दा-नेवरा थाने के निरीक्षक रमाकांत तिवारी के नेतृत्व में चलायी गई चलती-फिरती और तकनीकी छानबीन ने 22 दिनों के अंदर अपराधियों का नेटवर्क उजागर कर दिए। जांच में यह सामने आया कि गिरोह लगातार राज्यों के बीच अठखेलियाँ कर रहा था, मगर पुलिस की सूझबूझ ने उन्हें कहीं भी चैन न दिया।अभियुक्तों के ठिकानों से कुल 2.85 करोड़ रुपये की सोने-चांदी बरामद की गयी और मामले की सुनवाई में माननीय सत्र न्यायालय ने इस काम को समाज के लिए खतरनाक बताते हुए सभी आठ अभियुक्तों को आजीवन कारावास व ₹50,000 के जुर्माने की सजा सुनायी। जांच के दौरान बिहार व झारखंड समेत कई जगहों पर गिरोह के संबंध दर्ज पाए गए थे और इन राज्यों में उनके खिलाफ ईनाम भी घोषित था।थाना प्रभारी रमाकांत तिवारी ने तकनीकी सर्विलांस, मुखबिर नेटवर्क और अंतरराज्यीय समन्वय का घनघोर उपयोग कर फील्ड टीमों को मोर्चे पर रखा — परिणामस्वरूप गिरोह के सरगना और अन्य साथी पकड़ में आये। स्थानीय व्यापारियों और नागरिकों ने इस कार्रवाई को साहसिक और प्रभावशाली बताया है और पुलिस टीम की तारीफ कर रहे हैं।यह कारवाई न सिर्फ़ नाइंसाफी के खिलाफ सख्ती का संदेश देती है बल्कि यह भी दिखाती है कि समन्वय, स्मार्ट इंटेलिजेंस और लगन से किस तरह बड़े मामलों को कुचल दिया जा सकता है। तिल्दा-नेवरा में फिलहाल राहत और गर्व का माहौल है — लोगों ने कहा कि अब दुकानें और निवासी अधिक सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।क़ानून ने आज फिर साफ कर दिया: अपराध चाहे कितना भी बड़ा हो, उसकी सज़ा तय है।






